दोस्त
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हमारे कंधे पर
दबाव तो इस तरह का था
मानो कोई हाथ
किसी दोस्त का हो
हम पीछे मुड़कर
माजरा समझना भी चाहते थे
हम निर्णय लेने में रहे
वह कंधे बदलने में रहा
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हमारे कंधे पर
दबाव तो इस तरह का था
मानो कोई हाथ
किसी दोस्त का हो
हम पीछे मुड़कर
माजरा समझना भी चाहते थे
हम निर्णय लेने में रहे
वह कंधे बदलने में रहा
1 टिप्पणी:
वाह बहुत सुन्दर लिखी है.
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